प्रश्न= what is invisible science(अदृश्य विज्ञान क्या है) ?

उत्तर=  ऐसा विज्ञान जो इन भौतिक आंखो से दिखाई न दे लेकिन अनुभव किया जा सकता है वह अदृश्य विज्ञान कहलाता है । और जो दिखाई देता है वह स्थूल तत्वों से बना है। invisible Science परम तत्व (परम आकाश, वायु, आदि हैं। अलौकिक तत्व से बने साधन मनुष्य के लिए (invisible Science है |कहा जाता है कि Ancient Alian जब अपने विमान से पृथ्वी पर आते हैं तो उनके विमान सूर्य के प्रकाश में आते ही कुछ समय के लिए स्थूल अग्नि तत्व में परिवर्तित हो जाते हैं जो दिखाई देते हैं। एलियन आधा भौतिक और आधा पराभौतिक सम्पन  तल से बने होते हैं।                     


प्रश्न= क्या मनुष्य जीवन मृत्यु से परे जा सकता है ?           उत्तर= हाँ, यदि मनुष्य को ज्ञान हो जाए तो उसकी आत्मा में वैराग्य आयेगा और  वह मृत्यु से परे जा सकता है। ज्ञान होने के बाद मनुष्य 

समझ जायेगा की यह दुनिया विनाशकारी है। और वह ब्रम्ह की उपासना करेगी।                                                          प्रश्न= कारण जगत, कौशल world or केजुअल plane क्या है ?                                                                 उत्तर=  कारण जगत माने परम तत्व की दुनिया जो सबसे पहले बनी । तो परमतत्व शिव ने ब्रम्हा द्वारा कारण जगत की रचना कराई तो सबसे पहले परम तत्व की आत्मा बनाई जिन्हें फरिस्ता (फर्श वालों से कोई मतलब नहो) कहते हैं। फरिस्ता की आत्मा दे



वताओं से भी हाईक्वालिटी की होती है। फरिस्ता का शरीर परम वायु, परम आकाश, परम अग्नि का होता है। इनमें भोग, विलास की इच्छा नहीं होती | कारण जगत को ही कौसल जगत कहते हैं। कारण जगत के ऊपर परम धाम है। | कारण जगत के कई लेयर (स्तर) है। कम कारण

जगत (परम तत्व की 80% मात्रा ) जहाँ वैकुण्ठ लोक है (विष्णू पूरी), परम धाम में परम शिव रहते हैं। परम धाम से ऊपर महाकारण जगत है। कारण जगत अमरलोक है। स्थूल सूर्य की रोशनी जहाँ तक जाती है वहाँ तक सूक्ष्म दुनिया है। सूक्ष्म दुनिया में भी कई लेअर (स्तर) है। कारण जगत में चमकीले रंग की नदीयाँ, पहाड, वृक्ष आदि जल है। संकल्प करने मात्र से इच्छा पूरी हो जाती थी। लेकिन आज कई शिव, विष्णु, ब्रम्हा बदल चुके हैं। नीचे आ गए। कारण जगत माने विष्णुपूरी से कई अरब योजऩ दुर  है | 


प्रश्न= आत्मा गरीब के घर जन्म लेगी या अमीर के घर , यह निर्णय कौन करता है ?                                                 उत्तर=  पुराणों  के अनुसार= पुराने समय में चितगुप्त आत्मा के पाप, पुण्य कर्म के हिसाब से जन्म लेने को कहते थे। बापू जी के अनुसार, परन्तु आज के समय मे सुपरकम्प्यूटर लगे हैं। सुक्ष्म जगत में अच्छे आत्मायें है जो मृत आत्मा को पाप-पुण्य कर्म के हिसाब से उसे गरीब या अमीर के घर जन्म लेने को कहती है गरीब के घर जन्म लेकर अपना पाप धो लो और अमीर के घर जन्म लेकर अच्छे कार्य करो | परन्तु जन्म लेते ही मनुष्य भुल जाता है। इसलिए मनुष्य को ध्यान करते हुए अच्छे कर्म करना चाहिए । आध्यात्मिक गुरुओं के अनुसार, मनुष्य का जन्म उसके संस्कारो, कर्म बंधनों,और वृत्तियों पर निर्भर करता है। कोई बाहरी तत्व पर नहीं।



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