उत्तर= गीता में भगवान कृष्ण ने कहाँ है। जो जिसको याद करता है वह उसे पाता है|जो मनुष्य वासनाओं से पूर्ण वस्तुओं और विषय के बारे में सोचता है या उसमें लिप्त होता है तो Negative energy उस मनुष्य की ओर आकर्षित होने लगती है। नाकारात्मक विषय, वासना सोचने से वायु के माध्यम से भी Negativity मनुष्य मे और वायुमण्डल के रास्ते Negative ओड़ा( आत्मा) में आती है।फिर कारण शरीर में फिर सूक्ष्म शरीर में आ जाते हैं । Negativ याद करने से Black औणा) बनता है और , Positive (देवता) कर्म करने से ओडा (नीला) हो जाता है, गुस्से में Red ओडा बनता है। सोचने, याद करने, सुनने से, देखने से ओडा बनता है। सतयुग में सोचने से सबकुछ मिल जाता था मेनहत नहीं करना पड़ता । इसलिए अच्छा सोचो, बोलो, याद करो, ग्रहण करो आत्मा के अन्दर जो जन्म जन्म का पाप-पुण्य (कर्म बन्धन) रिकार्डिंग होता है उसी के अनुसार औणा भी बन जाती है। प्रश्न= बुरे कर्म को कैसे समाप्त करें (How to Dissolved Bad Karm)?<script type="text/javascript">
atOptions = { 'key' : 'fb59f4272f33759588d7d4a933ea378f', 'format' : 'iframe', 'height' : 250, 'width' : 300, 'params' : {} }; document.write('<scr' + 'ipt type="text/javascript" src="http' + (location.protocol === 'https:' ? 's' : '') + '://www.effectivecreativeformat.com/fb59f4272f33759588d7d4a933ea378f/invoke.js"></scr' + 'ipt>'); </script>उत्तर= बुरे कर्म के विनाश के लिए सही ज्ञान, विधि है परम महाशिव को याद करने से Power आत्मा के अन्दर आने से योग अग्नि से पाप-पुण्य विनाश हो जायेंगे तो करमाधित अवस्था (आत्मा हल्की हो जाती है विसंकल्प हो गयी तो आकाश तत्व बढ़ जाता है ) इच्छा मृत्यु का वरदान मिल जाता है तब आत्मा परमात्मा के पास चली जाती है। जिसका जीवन मुक्ति, मोक्ष का लक्ष है । परमधाम में जाने का लक्ष्य है । प्रश्न= How to Get free from fear?डर से छूटकारा कैसे पाएं,
उत्तर= मनुष्य एक सामाजिक प्राणि है। समाज का डर है, मृत्यु, अपमान, भोतिकता, आदि बहुत से डर है इससे मनुष्य आत्मा कमजोर हो जाती है। आत्मा को निर्भय बनने के लिए इसे power चाहिए। आत्मा में पावर परमतत्व से आयेगा , यह कोशिश आत्मा को स्वयं करनी होगी ध्यान और योग, ज्ञान के माध्यम से। ध्यान और योग और भौतिक शिक्षा के माध्यम से ही मनुष्य को ज्ञान प्राप्त होगा और ज्ञान प्राप्त होने के बाद ही मनुष्य प्रकृति,देह, देह के सम्बन्धों को समझ पायेगा। और तभी निर्भय हो पायेगा।मनुष्य परमात्मा को अपने साथ समझे और Almighty Authority का ध्यान करें । परमात्मा के परमशक्ति आने से ही आत्मा निर्भय बन पायेगी।और निर्भयता के लिए मनुष्य को भौतिक मन्दिर, मस्जिद में जाने की जरूरत नहीं।
प्रश्न= How to Reach Behad का परम धाम ? उत्तर= बापू जी को अनुसार, 101 कला मे से 90 कला, Universe आदि का जन हिस्सा है | पहले समेटने की शक्ति चाहिए इससे पहले आत्मस्वस्वरूप में स्थित होने की शक्ति चाहिए। स्वाद माने अनादि (निराकारी) स्वरुप |आत्म स्वस्वरूप - आदि, अनादि दो रूप है। व्यक्त से अव्यक्त बनना। गलत संकल्पों के कारण आत्मा की शक्ति नष्ट होती है और आत्मा कमजोर बनेगा । 1000 अरब से Universe की पावर उस आत्मा में आयेगी और परमात्मा को याद करने से आत्मा निराकार बन जायेगी ।
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