उत्तर= युनिवर्स अनन्त है इसको परिभाषित नहीं किया जा सकता है। इसके अन्दर सभी और अनन्त भौतिक और आध्यात्मिक, गेलेक्सी,तारे, पृथ्वीया , उर्जा है। बापुजी के अनुसार,
That with universe on 34-45 million & million stat 217 Vrglary. आकाशगंगा है। Milley vway, आकाशगंगा, एक आकाशगंगा है।
एक प्रकाश को कोई नहीं देख सकता सिवाय परमत्व के। जैसे मनुष्य तीन तत्वों वाले आत्मा को नहीं देख सकता केवल अनुभव कर सकता है। आत्मा निराकार होती है। तो पूर्ण ज्ञान होता है। आकारी रूप में धरती पर आते ही भुल जाता है। प्रतिपल अनन्त ब्रम्हाण्ड बनते बिगड़ते है तो महाशिव का पावर कम होने लगता है तो महाशिव महाकाल बनकर सारे Galaxy, युनिवर्स को रोम रोम में समा लेता है। प्रलय के लिए हर Galaxy का मालिक महाशिव है। महाकाल बनकर मतलब ब्लैक होल बनकर अपनी ग्रैविटी से अनन्त कोटि ब्रम्हाण्ड को अपने में समा लेता है। रोम-रोम का मतलब एक-एक शैल में | एक शिव माने एक सोलर सिस्टम।अनन्त - अनन्त शिव बने परम शिव के परमत्व से।
फिर संकल्प किया तो निराकारी पुरस से आकारी शिव बना । ब्रम्हा जी ने एक संकल्प किया तो अनेको अनन्त फरीस्ते बने।
जब फरिस्ते गिरने लगे तो देवता बने और फिर धरती बनाई। फिर अन्धेरा होने लगा तो परमात्मा ने सूर्य बनाया। मनुष्य और नीचे गिरा तो फिर नर्क बनाया गया।
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