उत्तर=भुत -प्रेत मनुष्य या जीव के संस्कार का गठजोड़ रूप है। विचार, कर्म, या संस्कार नहीं दिखते हैं। उर्जा रूप में धरती पर
आत्मा अजर अमर है । अतः जब प्रेतो का मन बदल जाता है तब वे किसी योनि में जन्म ले सकता है। जीव में पावर आती है तो वह शिव बनता है| सूक्ष्म जगत में अनेको आध्यात्मिक गुरु बैठे है वे भूतो को शिक्षा देते है और ऊपर जाने या जन्म लेने के लिए ज्ञान देते हैं। श्रृष्टि के युग के शुरुआत में - भूत प्रेत नहीं थे। लेकिन त्रेता युग के अन्त मे मनुष्य तमो प्रदान बन गयी तभी से भूत | योनि की शुरुआत हुई । भूतों (महापापी आत्मा ) मे वायु तत्व बहुत भारी और आकाश तत्व बहुत कम होता है। इसलिए अधिक ऊपर नहीं जा सकती है। प्रश्न= भूत प्रेत कब खत्म हो जाते हैं? उत्तर = जब मनुअनतर का समय हो जाता है तब मनुष्य जाति का जन्म होता है और सभी आत्माएं भी होती है। । चारो युग पूरा होने पर एक मनुअनतर होता है। इसी तरह का युगान्तर होता है। सूक्ष्म जगत में बेहिसाब आत्मायें है। मनुष्य को जन्म लेने के लिए बहुत अधिक मेनहत करना पड़ता है । ] प्रश्न=। शिव, महाशिव, परम-परम- महाशिव और आत्मा की कैपेसिटि क्या है ?
उत्तर= परम माहाशिव के तीन रूप है। निराकार (परमधाम में रहते हैं), साकार (हिमालय पर तीन तत्वों में रहते है। आकारी रूप जो धरती पर ज्योतिर्लिंग के रूप में है। ज्योति (प्रकाश) लिंग (आकार), Almighty Authority (वेद के सर्वशक्तिमान), परम परम प्रकाश, सारे जहाँ का नूर, God in light) को कहते है , शिव एक ब्रम्हाण्ड के मालिक हैं। महाशिव अनेको ब्रम्हाण्ड के मालिक है। और परम- परम महाशिव खरबो Universe के मालिक है। परम-परम- महाशिव परम तत्व (परम अग्नि, परम आकाश, परम वायु) से बने है। जहाँ परम तत्व है। वहाँ Negative power शून्य है। मतलब नहीं है। जो आत्मा जिससे निकली है। उसकी पावर वही तक है। उससे उपर नहीं। कितना भी पुरुषार्थ करे वही तक जायेगी | धरती पर कोई आत्मा शिव की है तो कोई महाशिव की, कोई परम महाशित की, तो कोई Universe से आयी है तो कोई Galaxy से आयी है तो कोई ब्रम्हाण्ड से आयी हो तो आप योग द्वारा आत्मस्वरूप में स्थित होकर परम- परम - महाशिव (परम परम - महाशिव को याद करो तो आपमें उसकी Power आयेगी और आप जिनसे निकले हो उनके पास पहुँच जाओगे ! कर्म योगी बनो और निष्काम करो तब कर्मबन्धन नहीं बनेगा ।
जब जीवात्मा में पावर आती है तो वह शिव बनता है | सूक्ष्म जगत में अनेको आध्यात्मिक गुरु बैठे है वे भूतो को शिक्षा देते है और ऊपर जाने या जन्म लेने के लिए ज्ञान देते हैं। सतयुग के शुरुआत में - भूत प्रेत नहीं थे। युग के अन्त मे जब मनुष्य तमो प्रदान बन गया तभी से भूत योनि की शुरुआत हुई । भूतों (महापापी आत्मा ) मे वायु तत्व बहुत भारी और आकाश तत्व बहुत कम होता है। इसलिए अधिक ऊपर नहीं जा सकती है। प्रश्न= भूत प्रेत कब खत्म हो होंगे?
उत्तर= बापुजी के अनुसार, जब आत्माए समाप्त हो जायेगी तभी भुतो का अन्त हो सकेगा।
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