प्रश्न= पृथ्वी पर जितने भी धर्म है इन सभी धर्मों की मान्यता है कि स्वर्ग ( जन्नत),और नर्क (HELL) है, क्या यह सत्य है कि नहीं ?

उत्तर= जन्नत और जहन्नुम इसी धरती पे है। जबतक आत्मा शरीर में है उसके लिए जन्नत और जहन्नुम है शरीर के बिना उसके लिए इसका कोई महत्व नहीं है। क्योंकि आत्मा उर्जा होती है। आत्मा आनन्द में हो सकती है। लेकिन इस पर भोतिक कष्टों का प्रभाव नहीं पड़ेगा।


पुराणों के अनुसार हमारे ब्रम्हांड में अनेक लोक है इसमें से  महालोक, जन्मलोक, तपलोक भी है।


1. भू लोक, भूगोल लोक, ब्रम्हापूरी, विष्णु पुरी, शिवपूरी,  5-7 करोड़ KMEY उपर योजन के नाम से जानते हैं। एक योजन 27 माईल, 1 माईल 2 पौने दो (mi -एक योजन = 7 KM, होता है मुनियो ने दिव्यदृष्टि से देखकर योजना भूगोल लोक से स्वर्गलोक 1 लाख KM ऊपर है। 

प्रश्न= आत्मा की आयु कितनी है ?क्या कल्प प्रलय में भूलोक, भूभुर्ग लोक, स्वर्ग लोक का विनाश हो जाता है ?

उत्तर= आत्मा अजेय और अनन्त है इसका रूपांतरण हो सकता है विनाश नहीं।

पुराणों के अनुसार,मनुष्य आत्मा की आयु 8 अरब 69 करोड़ साल है। शास्त्र के अनुसार 18 - परम ब्रम्हाण्ड को बने ।बेहिसाब आत्मायें Galaxy, universe में बैठे हुए हैं।



Galaxy में 8 सौ अरब सूर्य है। एन्ड्रोमेडा Galaxy में । हजार अरब सूर्य है। तो एन्ड्रोमेडा Galaxy के महाशिव में ज्यादा पावर है। मार्केन्डेय पुराण में लिखा है। मार्केन्डे की

आयु ब्रम्हा का 15 दिन था । इसलिए जब-जब प्रलय आने पर  मार्केन्डेय ऋषि ब्रम्हापूरी में चले जाते और बच जाते थे । जब देवता गिरने लगे तब धरती बनायी। पहले तीन तत्वों की दुनिया थी । 

आत्मा 2-7 शैल की होती है। लेकिन जब बहुत ज्यादे पाप करता है। आत्मा तब एक शैल का आत्मा बन जाती है। फिर धीरे-धीरे पुनरोत्थान करके अधिक शैल वाले की आत्मा बनती है। आत्मा के अन्दर जितना ज्यादा पाप आयेगा उतना ही अधिक उसके शैल डिस्चार्ज होंगे। जब आत्मा के अन्दर power (परम प्रकाश) आयेगी तो कर्म विनाश होगें और शैल चार्ज होगी । जानवर की आत्मा


में 2-4000 के शैल होते हैं । अलग -अलग जीव में उर्जा के स्तर अलग -अलग होता है।                                            प्रश्न=  शरीर में रोग कैसे बनता है ?

उत्तर=  आध्यात्मिक गुरु के अनुसार, रोग,शोक जो भी है। मनमें/Negative विचार आने से बाइब्रेशन होता है तरंगों के द्वारा ओला(उर्जा) में negativity रिकार्ड होती है। जो रोग का कारण बनती है। रोग शोक से मुक्ति के लिए परमात्मा से कनेक्शन जोड़कर परम प्रकाश  से ही नाकारात्मकता खत्म होगी है। आत्मा, शुद्ध होगी तो स्थूल शरीर के सारे रोग खत्म हो जाते हैं और  शान्ति की प्राप्ती होती है।


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